Tuesday, December 4, 2012

Aperture


मित्रों नमस्कार,

इस पोस्ट में हम कैमरा के अपर्चर के बारे में चर्चा करेंगे।

हमारी रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी में हमारी आंखें किसी व्यक्ती विशेष या वस्तु  की तर्फ  आकर्षित  होती  रहती है। हमारी  ऑंखें  दुनिया  के  जन्तु  और वस्तु  दुड्ती रहती हैं  और  उन पर हमारी  द्रिष्टी  केन्द्रित करती है। जब हमारी दृष्टि किसी वस्तु पर केंद्रित होती है तो बाक़ी अगल बगल की चीज़ें आउट ऑफ फोकस हो जाती हैं।  यही  हाल एक  कैमरा  के  लेन्स का  भी  है। जब  हम  कैमरा  से  एक  सब्जेक्ट  पर फोकस करते  हैं  तो उससे आगे और  पीछे की  चीजें आउट  ऑफ़  फोकस  रहती  हैं।



जब  हम  कैमरा से एक सब्जेक्ट  पर  फोकस  करते  हैं  तो उससे  आगे  और पीछे के कुछ इलाका फोकस में रहता है और बाकि एरिया आउट ऑफ़ फोकस रहता है। जो इलाका फोकस में रहता है उस को डेप्थ ऑफ़ फील्ड कहते हैं। डेप्थ ऑफ़ फील्ड लेंस के अपर्चर को छोटा या बड़ा करके कण्ट्रोल किया जा सकता है।

अपर्चर क्या है ?






अपर्चर कैमरा के लेंस में एक छेद  है जो तै करता है की किस मात्रा में रौशनी कैमरा के सेंसर पर गिरे। कैमरा के अपर्चर की तुलना आप अपनी आंख की पुतली से कर सकते हैं। जब हम घर से बाहर तेज धुप में निकलतें हैं तो हमारे आंख की पुतली छोटी हो जाती है और रौशनी को कम प्रवेश देती है। ठीक कुछ इसी प्रकार कैमरा का अपर्चर भी काम करता है।

अपर्चर का नाप  f-numbers या f-stops से होता है। f-number कैमरा के लेंस का फोकल लेंथ और अपर्चर के diameter का अनुपात होता है। एक प्रारंभिक फोटोग्राफर के लिए इसे समझना शायद मुश्किल हो। एक छोटा f-number जैसे की f 1.8 बड़े अपर्चर को जाहिर करता है और बड़ा  f number जैसे की f 22 एक छोटे अपर्चर को जाहिर करता है।



अपर्चर का साइज़ रौशनी की मात्र को निर्धारित करने के इलावा तस्वीर की डेप्थ ऑफ़ फील्ड (depth of field) को भी निर्धारित करता है। डेप्थ ऑफ़ फील्ड सब्जेक्ट के आगे और पीछे की वो जगह है जो फोकस में होता है।

अपर्चर और एक्सपोज़र 

अपर्चर का साइज़ दो चीजों को निर्धारित करता है।

डेप्थ ऑफ़ फील्ड। अपर्चर का साइज़ जितना छोटा होगा उतना ही ज्यादा डेप्थ ऑफ़ फील्ड होगा और अपर्चर का साइज़ जितना बड़ा होगा उतना ही डेप्थ ऑफ़ फील्ड कम होगा। निचे दिया हुए उधारण देखिये।

      

     

     

रौशनी की मात्रा। अपर्चर का साइज़ रौशनी की मात्रा को निर्धारित करता है। अपर्चर का साइज़ जितना बड़ा होगा उतनी ही ज्यादा रौशनी कैमरा के सेंसर पर गिरे गी। अपर्चर का साइज़ तै करता है की एक्सपोज़र ज्यादा है या कम है।

अगर ISO और शटर स्पीड स्थायी हो और हम अपर्चर का साइज़ बढ़ाते या घटाते  है तो एक्सपोज़र में बदलाव आयेगा। निचे दिए हुए उधारण  देखिये।

सही अपर्चर चुनना

जैसा की हम पहले जान चुके हैं की अपर्चर तस्वीर की डेप्थ ऑफ़ फील्ड और एक्सपोज़र को निर्धारित करता है।

अपर्चर का साइज़ क्या हो, यह आप किस प्रकार की फोटोग्राफी कर रहें हैं पर निर्भर है। अगर आप पोर्ट्रेट फोटोग्राफी कर रहे तो बड़ा अपर्चर अच्छा रहेगा जिस से डेप्थ ऑफ़ फील्ड कम रहे और तस्वीर उभर कर नज़र आये ।

अगर आप लैंडस्केप फोटोग्राफी कर रहें है तो आप चाहें गें की ज्यादा से ज्यादा एरिया फोकस में रहे। इस प्रकार की फोटोग्राफी के लिए छोटा अपर्चर अच्छा रहे गा। अपर्चर कैसे चुने यह आप के अनुभव पर भी निर्भर होगा। 

अपर्चर सेटिंग्स के विकल्प

DSLR कैमरा में कई प्रकार के मोड्स होते हैं।

ऑटो मोड। इस में कैमरा, दृश्य और रौशनी के मुताबिक अपर्चर, ISO, और शटर स्पीड चुनता है।

मैन्युअल मोड। इस मोड में आप अपने अनुभव के मुताबिक अपर्चर, शटर स्पीड और ISO चुनते हैं।

अपर्चर प्रायोरिटी। इस मोड में आप जरुरत के मुताबिक अपर्चर सेट करते हैं और कैमरा सही अनुपात में ISO और शटर स्पीड का चयन करता है।

शटर प्रायोरिटी। अगर आप को मोशन फ्रीज करना है तो शायद आप शटर प्रायोरिटी पसंद करें। कैमरा अपर्चर खुद चुनेगा।

इस पोस्ट में बस इतना हीं।

नमस्कार 

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